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प्रशासन की उदासीनता के चलते धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्ति हो रही खुर्द बुर्द

मथुरा__प्रशासन की उदासीनता के चलते जिले के प्राचीन मंदिर और धर्मार्थ ट्रस्टों की संपत्ति तेजी से खुर्द हो रही है।
चैरिटेबल एडोनमेन्ट एक्ट 1890 में जिलाधिकारी मथुरा को इन ट्रस्टों का अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद भी समाज हित में बनाई गई इन कीमती संपत्तियों को बचा पान बचा पाना संभव नहीं हो पा रहा है।
अधिकांश मामलों में तो ट्रस्ट के सदस्यों की मौत का इंतजार कर रहे कब्जेदार प्रशासन को गुमराह कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं।धर्मार्थ ट्रस्टों के बचे सदस्य आला अधिकारीयों के दरबार में फरियाद कर रहे हैं। पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।क्या उनकी आवाज को सुना जाएगा क्या समाज के सफेद पोष लोगों द्वारा इसी सम्पत्तियों पर किये गए अवैध कब्जों को खाली कराया जा सकेगा।
एसी ही एक संस्था का गठन सन 1888 में जयसिंहपुरा स्थित नारायण दास धर्मशाला ट्रस्ट के रूप में किया गया था जो बाद में चैरिटेबल एक्ट 1890 की धारा 3 (2) 4 (2 )-(4) एवं धारा 5(1)-(4) के प्रबंधनों के तहत जिला अधिकारी की अध्यक्षता में संचालित हुई 1894 में संस्थापकों ने नोटिफिकेशन संख्या 554- 111-52 दिनांक 17 -4-1994 के माध्यम से विधवत जिलाधिकारी को मथुरा का ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया इसके बाद अब तक निरंतर जिलाधिकारी मथुरा पदेन अध्यक्ष हैं ट्रस्ट के संचालकों में सेठ मांगीलाल लाल बद्री दास लाल गोवर्धन दास बाबू शीतल चंद मुखर्जी लाला रणछोड़ दास अजमेरा शामिल थे। ट्रस्ट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य धर्मशाला परिषद में बने ठाकुर गोपाल जी महाराज के मंदिर की नियमित पूजा अर्चना की व्यवस्था संस्कृत पाठशाला का संचालन और पक्षियों को दाना चुगाना था। लेकिन 100 वर्षों से अधिक लंबे अंतराल में इस ट्रस्ट के संस्थापक और सदस्य कम होते चले गए और ट्रस्ट की संपत्ति पर अवैध कबजेदारों के हौसले और बुलंद होते चले गए और मौका देखकर कब्जेदारों द्वारा षड्यंत्र कर ट्रस्ट संपत्ति अभिलेखीय जानकारी भी गायब कर दी गई। एक शताब्दी से ज्यादा पुरानी इस संस्था को जिला अधिकारी बचाने के लिए क्या पहल करेंगे यह ट्रस्ट से जुड़े लोगों के लिए एक प्रश्न बना हुआ है, क्या कब्जे धारकों के द्वारा व्यावसायिक उपयोग में प्रयुक्त की जा रही सम्पत्ति मुक्त हो सकेगी। क्या ट्रस्ट के संस्थापकों की भावना और उद्देश्यों के अनुरूप इस संपदा का उपयोग जिलाधिकारी और ट्रस्ट के सदस्य गण कर पाएंगे इन तमाम सवालों में जयसिंहपुरा में खड़ी धर्मशाला व मुख्य इमारत लगातार मांग कर रही है।

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